सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में पर्वतारोही गीता सामोता और कैप्टन शालिनी सिंह ने कैडेट्स को किया प्रेरित

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चित्तौड़गढ़ न्यूज ब्यूरो। सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ के 65वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित पूर्व-कार्यक्रमों की कड़ी में शनिवार को दो प्रेरणादायक हस्तियों — एवरेस्ट विजेता पर्वतारोही गीता सामोता और वीर नारी कैप्टन शालिनी सिंह ने अपनी जीवन यात्रा साझा कर कैडेट्स को साहस, आत्मबल और समर्पण का पाठ पढ़ाया।

“गीता सामोता ने मंच से साझा की अपने साहस और संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी।”

कार्यक्रम का आयोजन शंकर मेनन सागा सभागार में किया गया, जहां स्कूल के प्राचार्य कर्नल अनिल देव सिंह जसरोटिया एवं उप प्राचार्य लेफ्टिनेंट कर्नल पारुल श्रीवास्तव ने दोनों अतिथियों का स्वागत कर उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किए। पूर्व छात्रों ने भी सम्मानस्वरूप शॉल ओढ़ाकर उनका अभिनंदन किया।

🌄 गीता सामोता : साहस की ऊँचाईयों तक पहुंचने वाली पर्वतारोही

 

एवरेस्ट फतह कर चुकीं गीता सामोता ने बताया कि पर्वतारोहण केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक शक्ति, रणनीति और प्रकृति के साथ सामंजस्य की परीक्षा है। उन्होंने अपनी यात्रा में आने वाली चुनौतियों, जोखिम और सफलता की कहानियों से कैडेट्स को प्रेरित किया और कहा कि “इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास से कोई भी शिखर असंभव नहीं होता।”

 

⚔️ कैप्टन शालिनी सिंह : आत्मबल की मिसाल

 

कैप्टन शालिनी सिंह ने जीवन की कठिन परिस्थितियों से लड़ते हुए देश की सेवा और व्यक्तिगत उपलब्धियों की कहानी सुनाई। कम उम्र में विधवा होने के बाद भी उन्होंने जीवन से हार नहीं मानी और मिसेज इंडिया क्वीन ऑफ सब्सटेंस (2017) बनने से लेकर वीर नारी सम्मान सहित कई पुरस्कार अपने नाम किए। उन्होंने कैडेट्स से कहा, “असफलता अंत नहीं है, बल्कि शुरुआत है खुद को बेहतर बनाने की। खुद पर विश्वास रखें, आप अद्भुत कार्य कर सकते हैं।”

कार्यक्रम में दोनों वक्ताओं ने कैडेट्स के सवालों का जवाब देते हुए उनके आत्मबल को और मजबूत किया।

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Ilyas
Author: Ilyas

पिछले 10 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता

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