चित्तौड़गढ़। सूर्य उपासना का चार दिवसीय लोकआस्था का पर्व छठ महापर्व रविवार को दूसरे दिन खरना की विधि-विधान के साथ उत्साहपूर्वक आरंभ हुआ। खरना का अर्थ शुद्धिकरण होता है और इस दिन व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखकर छठी मैया के लिए प्रसाद तैयार करती हैं। पूजा उपरांत प्रसाद का भोग लगाकर उसे परिवार और समाजजन के बीच वितरित किया जाता है।

सोमवार को डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर परिवार, समाज और देश की सुख-समृद्धि की कामना की जाएगी। इस अवसर पर बिहार मेवाड़ मैत्री समिति द्वारा लगातार 30 वर्षों से चित्तौड़गढ़ में चार दिवसीय डालना छठ पूजा महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। समिति के अनुसार लगभग 600 परिवार इस बार अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य अर्पित करेंगे।
छठ महोत्सव के दौरान चित्तौड़गढ़ सहित जिले के आसपास के क्षेत्रों में निवासरत बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, दिल्ली आदि राज्यों के परिवार बड़ी संख्या में घाटों पर पहुंच रहे हैं। जैसे ही सूर्य अस्ताचल की ओर अग्रसर होगा, घाटों पर उपस्थित श्रद्धालु संध्याकालीन अर्ध्य अर्पित करने लगेंगे।
बिहार मेवाड़ मैत्री समिति के प्रवक्ता मनोज साहू ने बताया कि पिछले तीन दशकों से यह छठ महोत्सव निरंतर आयोजित हो रहा है। उन्होंने बताया कि खरना की रस्म के साथ आज दूसरा दिन संपन्न हुआ तथा सोमवार शाम बेड़च नदी घाट पर सामूहिक पूजा आयोजित कर अस्त होते सूर्य को अर्क अर्पित किया जाएगा।
निवर्तमान पार्षद एवं समिति अध्यक्ष बृज किशोर स्वदेशी ने जानकारी दी कि नगर परिषद चित्तौड़ द्वारा नदी घाट पर साफ-सफाई व आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं।
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