बीमा ट्रांसफर नहीं होने पर भी बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति की जिम्मेदार

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चित्तौड़गढ़। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष प्रभुलाल आमेटा, सदस्य राजेश्वरी मीणा व अरविन्द कुमार भटट् ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कागजों में बीमा अंतरित नहीं होने के बावजूद बीमित अवधि में वाहन चोरी होने पर भी बीमा कम्पनी को उत्तरदायी मानते हुए विपक्षी इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी के विरूद्ध 40 हजार रुपये मय ब्याज एवं परिवाद व्यय, अधिक्ता शुल्क, मानसिक संताप के कुल 7500/- रुपये 2 माह में आयोग में जमा करवाने का बीमा कम्पनी को आदेश दिया।

प्रकरणानुसार कुम्हारों का मोहल्ला चन्देरिया निवासी परिवादी अर्जुन लाल पिता मांगीलाल कुम्हार ने अधिवक्तागण नरेन्द्र कुमार पोखरना, अक्षत पोखरना के माध्यम से एक परिवाद विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध इस आशय का पेश किया कि परिवादी ने एक मोटर साईकिल आरजे06पीएस7934 अब्दुल रशीद से क्रय की जिसका विपक्षी बीमा कम्पनी से किया हुआ था और आईडीवी वेल्यू 40 हजार रुपये थी। उक्त मोटर साईकिल परिवादी के घर से चोरी हो जाने पर पुलिस थाना चंदेरिया में एफआईआर दर्ज कराई गई तथा सूचना बीमा कम्पनी को दी गई। बीमा कम्पनी ने क्लेम इस आधार पर खारीज कर दिया की परिवादी ने रजिस्ट्रेशन तो अपने नाम पर करवा लिया किंतु बीमा अपने नाम पर नहीं करवाया इस कारण बीमा कम्पनी बीमित राशी के लिए जिम्मेदार नही है तथा परिवादी की वाहन की चोरी की सुचना भी 26 दिन देरी से पेश की इस कारण परिवादी कोई क्षतिपूति राशी प्राप्त करने का अधिकारी नही है।
दोनों पक्षो की बहस सुनने के पश्चात् आयोग ने माना की चूंकि परिवादी ने मोटर साईकल चोरी की सूचना बीमा कम्पनी को 26 दिन बाद दी किंतु परिवादी ने पुलिस थाने में एक दिन बाद ही दर्ज करवा दी थी तो फिर बीमा कम्पनी को देरी से सूचना देना क्लेम को विफल करता है। प्रकरण मंे बीमा विक्रेता नाम पर था जिसने भी शपथपत्र पेश किया की बीमीत राशी यदि परिवादी को दे दी जाए तो उसे कोई आपत्ती नही हैं क्योकि उसने मोटर साईकल परिवादी को बेच दी है।
आयोग ने माना की वाहन का पंजीयन प्रमाण पत्र परिवादी के नाम अंतरित हो चुका था और मोटरयान अधिनियम को प्रावधानो के अनुसार वाहन के पंजियन के साथ उसका बीमा भी अंतरित होना माना जाता है। बीमा कम्पनी ने विक्रेता को भी उक्त वाहन की चोरी का क्लेम दे दिया हो, इस बात के प्रमाण पेश नही किए। वाहन बीमित अवधि में चोरी हुआ है। इसलिए कागजो मे बीमा अंतरित नही होने के आधार पर ही परिवादी का परिवाद खारिज नही किया जा सकता।  परिवादी विपक्षी बीमा कम्पनी से वाहन की आईडीवी की राशी 40 हजार रुपये मय ब्याज व परिवाद व्यय के 2500, अधिवक्ता शुल्क के 2500 व मानसिक संताप के 2500रु पये भी प्राप्त करने का हकदार है।

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