जलकुंभी की आगोश में दबी गंभीरी, प्रशासन व नगर परिषद कुंभकणीर्य नींद में

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चित्तौड़गढ़। शहर की जीवन रेखा मानी जाने वाली गंगा सम गंभीरी नदी को चम्बल रीवर फ्रंट की तर्ज पर विकसित करनेके सब्जबाग तो दिखाये जाते रहे है लेकिन हकीकत ठीक इसके विपरित है। यही कारण है कि पिछले दो वर्षो से गंभीरी नदी की सुध लेने में जिला प्रशासन अथवा नगर परिषद द्वारा कोई पहल नहीं की गई है। गंदगी से अटी पड़ी गंभीरी नदी के उत्तरी छोर को हजारेश्वर काजवे से देखा जाए तो नदी के पूरे मागर् में जलकुंभी के अलावा नदी प्रवाह का कोई बिंदू तक दिखाई नहीं दे रहा है। गत मानसून से पूवर् नगर परिषद द्वारा इस नदी की सफाई करना प्रस्तावित था लेकिन हर बार परिषद प्रशासन सफाई पर धनराशि खर्च करने के बजाय बाढ आने पर स्वतः स्वच्छ होने की कामना लेकर कुंभकरणीय नींद में सोता रहा है। उसी का परिणाम है कि कभी स्वच्छ जल की पयार्य रहीं गंभीरी नदी इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है लेकिन जिला प्रशासन अथवा नगर परिषद एंव जनप्रतिनिधि कोई भी इस नदी की पवित्रता को बहाल करने मेंरूचि लेता नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे हालात से उबरने के लिये सख्त प्रशासनिक कदम उठाने की आवश्यकता है।

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