चित्तौड़गढ़। विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां और भी तेज हो गई है, चर्चाएं यह आम हो गई है कि दोनों ही प्रमुख पार्टियों की नाक में दम करने वाले कुकर का प्रचार भी जोरों पर रहे हैं, कुकर की वजह से दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों की साख को बचाना मुश्किल हो गया है, भले ही दोनों प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशी दो बार विधायक कर रहे हैं या उनका अनुभव ज्यादा हो लेकिन दोनों ने बागडोर के साथ -साथ जनसंपर्क भी बहुत तेज कर दिया है। रोजाना दर्जनों गांव में अपने द्वारा किए गए कार्यों को गिनाए जा रहे हैं तो एक पूर्व बड़े नेता के द्वारा भी 15 साल पहले करवाए गए कार्यों को जनता के बीच रख याद करवाया जा रहा है। लेकिन अब आम जनता समझदार हो गई है जो नेता उन्होंने के बीच में ही रहेगा वह ही विधायक उम्मीदवार होगा एक प्रत्याशी के द्वारा तो सीएम के द्वारा कराए गए विकास कार्यों के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं तो दूसरे के द्वारा पीएम के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के कुकर का निशान हर जगह, हर गांव और हर गली में देखने को मिल रहा है। वहीं जनसंपर्क में भी कुकर की सिंटिया ही ज्यादा बज रही है, चित्तौड़गढ़ में ऐसा पहली बार हुआ है कि निर्दलीय प्रत्याशी के द्वारा दोनों प्रमुख पार्टी कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों का गेम बिगड़ रहा है, वहीं कुकर की सीटी दिन में तो सही, रात में भी बज रही है कई युवा तो रात में भी शहर की सड़कों पर कुकर के प्रत्याशी के नाम लेकर दौड़ लगाते हुए नजर आ जाते हैं। बहरहाल अब देखना तो यह है कि 25 नवंबर को मतदान के दिन प्रातः को जब जनता सोकर उठेगी तो उसके दिलों दिमाग में क्या छाया होगा और ईवीएम मशीन पर बटन किसका दबेगा यह तो 3 दिसंबर को दोपहर बाद साफ हो जाएगा, लेकिन फिलहाल तो कुकर की वजह से कमल और पंजे को जोर लगाते हुए दूरस्थ गांव में जन संपर्क की दौड़ लगाने के साथ साथ स्टार प्रचारक भी बुलाने पढ़ रहे है। जिससे साफ जाहिर है कि कुकर ने सभी के नाक में दम कर रखा है जिसके कारण अब चुनावी ऊंट किसी भी करवट लेट सकता है और प्रत्याशियों के जीतने का अंतर बहुत कम हो सकता है।
