धूं धूं कर जले रावण, मेघनाथ व कुंभकरण के पुतले

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आचार संहिता के कारण कार्यक्रम बना महज औपचारिकता, शहवासी हुए मायूस

चित्तौड़गढ़। नगर परिषद द्वारा पूर्व में दशहरा मेले के भव्य आयोजन का प्रस्ताव लेने के बाद आचार संहिता के
बहाने प्रस्तावित मेला निरस्त कर विजय दशमी के पावन अवसर पर रावण दहन की महज औपचारिकता निभाई गई। स्थानीय इंदिरा गांधी स्टेडियम में मंगलवार संध्या वेला में 72 फीट उंचे रावण के साथ मेघनाथ व कुंभकरण के पुतले का दहन
का किया गया। सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में बुराई पर अच्छाई के जीत के प्रतीक पुतलें धूं धूं कर जलते नजर
आये। बड़ीसादड़ी के शोर गरों द्वारा तैयार पुतलों के दहन से पूर्व सतरंगी आतिशबाजी का नजारा देखने योग्य था।
रावण दहन से पूर्व रामलीला के मंचन के रूप राम, लक्ष्मण, हनुमान स्टेडियम में पहुंचे और रामलीला का का मंचन किया गया।

जलाता रावण का 72 फीट का पुतला
रामलीला का मंचन करते कलाकार।
कार्यक्रम के बाद बनी जाम की स्थिति।
बटन दबाकर रावण दहन करते संत रामतारामजी महाराज,एएसपी बुगलाल मीणा, डीएसपी करण सिंह।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संत रामतरामजी महाराज, संत दिग्विजयरामजी महाराज ने दशहरा पर्व पर प्रवचन भी दिया, जिसके बाद संतो व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बुगलाल मीणा, उपाधीक्षक करण सिंह के द्वारा क्रमश: मेघनाद, कुंभकर्ण और रावण के पुतले को बटन दबाकर दहन किया।

राम सीता का रूप धरे आए बालक बालिका।

इस दौरान राजस्थान प्रोन्नति प्राधिकरण
अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह जाड़ावत, सभापति संदीप शर्मा आयुक्त रविन्द्र सिंह यादव, नगर परिषद कर्मचारी गण सहित पार्षद गण, जनप्रतिनिधि व बड़ी संख्या में शहरवासी मौजूद थे।

नहीं हुआ मेला, आतिशबाजी भी नहीं मोह सकी दर्शकों का मन,हुई मायूसी

विजयादशमी के मौके पर हर वर्ष होने वाले कार्यक्रम में लोग खासे उत्साहित होते है लेकिन इस वर्ष आचार संहिता के कारण या अधिकारियों नेताओ के आपसी खींचतान के कारण 10 दिवसीय मेला नहीं लगा, जिसपर भी शवासी मायूस हुए, साथ भव्य आतिशबाजी के नाम पर की गई पटाखा फोड़ आतिशबाजी लोगो का मन नहीं मोह सकी कई आसमानी आतिशबजी तो धरती पर ही फूट गई गनीमत रही की कोई हताहत नहीं हुआ, नाममात्र के बिग शॉट्स ही आसमान में दिखने को मिले, बाकी तो चुटभह्य पटाखे कुछ ऊंचाई पर फूट गए, वही आतिशबाजी रोक संत के प्रवचन को शुरू किया जिसके बाद रावण दहन कार्यक्रम होने से आतिशबाजी के लगभग  3  कर्टन बच गए थे जिसे रावण दहन के बाद बिना फोड़े ही संबंधित ठेकेदार स्टेडियम से लेकर चला गया।

72 फीट सुन आश्चर्य में पड़े लोग

इस बार नगर परिषद के द्वारा रावण का पुतला 72 फीट ऊंचा, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले 51–51 फीट ऊंचे बनाए गए लेकिन स्टेडियम में दहन कार्यक्रम में पहुंचे लोग आश्चर्य में पड़ गए की रावण के 72 फीट ऊंचे पुतले और कुंभकर्ण व मेघनाद के 51 फीट के पुतलों के बीच काम अंतर, रावण का पुतला भी 7 मंजिला ऊंचा नहीं लग रहा था। वही कइयों का कहना था की निंबाहेड़ा में रावण के 72 फीट ऊंचे पुतले के मुकाबले यह पुतला कम ऊंचा दिखाई पड़ रहा हैं।

कार्यक्रम खत्म होने के बाद बनी जाम की स्थिति

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़ी संख्या में दशहरा पर्व पर शहर के इंदिरा गांधी स्टेडियम में आतिशबाजी व रावण दहन का कार्यक्रम देखने के लिए हजारों की संख्या में शहरवासी उमड़े, शाम 7 बजे से पहले ही स्टेडियम में लोग पहुंचने लग गए, धीरे धीरे पूरा स्टेडियम खचाखच भर गया, रात करीब पौने 9 बजे अतिथियों के द्वारा तीनों पुतले का एक एक कर दहन किया गया 8 बजकर 50 मिनट पर खत्म हुए कार्यक्रम के तुरंत पश्चात भीड़  स्टेडियम के दोनों गेट से निकली एक दम से भीड़ के गेट्स  पर पहुंचने से एक बार ही यातायात व्यवस्था डगमगा गई, और भारी जाम की स्थिति दोनो गेट पर बन गई, जिसको लेकर यातायात पुलिस को खासी मशक्कत का सामान करना पड़ा। यहां हर वर्ष यह जाम की स्थिति बनती है।

 

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