
- सेवानिवृत्त कर्मचारी को आठ साल से नहीं मिला वेतन और परिलाभों का भुगतान
चित्तौडगढ़। सहकारिता विभाग से सेवानिवृत्त कर्मचारी के विरूद्ध विभाग के ही अधिकारियों ने इस तरह का षडयंत्र रचा कि सेवा निवृत्ति के आठ साल बाद भी कर्मचारी को वेतन और अन्य परिलाभ नहीं मिल पाए हैं। पीडित सेवानिवृत्त कर्मचारी ने परेशान होकर ह्यूमन राईट्स सेल की राष्ट्रीय अध्यक्षा सुरभि मेनारिया धींग (उदयपुर) को शिकायत की, जिस पर राष्ट्रीय अध्यक्षा धीग ने इसको संज्ञान मे लेकर गुरूवार को संभागीय आयुक्त कार्यालय परिवादी के परिवार के साथ पहुंचकर अधिकारियों की शिकायत करते हुए वेतन व अन्य परिलाभ दिलाए जाने की मांग की है। मामला चित्तौडगढ जिले के कारूण्डा जीएसएस का है जहां के भूतपूर्व व्यवस्थापक पारसमल जैन ने संभागीय आयुक्त को शिकायत की है। संभागीय आयुक्त को दिए गए प्रार्थना पत्र में पारसमल जैन ने बताया कि विभाग में उनका दिनांक 01. जनवरी .2008 से दिनांक 30.अप्रेल .2016 तक का वेतन बकाया है। जिसका प्रमाण पत्र सहायक अधिशाषी अधिकारी द्वारा बैंक के बचत खाते के स्टेटमेंट की जांच कर जारी किया गया है, इसमें से 05 माह का वेतन एक सज्जन द्वारा जारी किया गया था। जिसका भी स्थानान्तरण कर दिया गया। जैन ने बताया कि मेरे द्वारा समय-समय पर अध्यक्ष द्वारा प्रमाणित बिल प्रस्तुत करने पर भी मेरे द्वारा रिश्वत के रुप मे राशि नहीं दिए जाने के कारण हर समय अलग-अलग बहाने बनाकर वेतन का भुगतान आज दिनांक तक नही किया गया। प्रार्थना पत्र में
3 माह में भुगतान का नियम, विभाग की नियत लग रही मोटी रकम ऐठने की
नियमों का हवाला देते हुए बताया कि सहायक अधिशाषी अधिकारी द्वारा उल्लेखित समयावधि के रोके गए वेतन की राशियों एवं सेवानिवृति परिलाभो की राशि, जिसका भुगतान नियमानुसार सेवानिवृति से 3 माह में किया जाना आवश्यक है, वो अभी तक नही किया गया है। वेतन और परिलाभों की समस्त राशियों को जानबुझ कर अलग-अलग बहाने बनाकर मोटी रकम एंठने की नीयत से रोकने की आशंका है। सेवानिवृति के पश्चात जान बुझकर झूठे प्रकरण दर्ज करवा कर भुगतान रोक कर रखा गया। जैन ने ऋण पर्यवेक्षक, सहायक अधिशाषी अधिकारी सहित उच्च अधिकारियो को तत्समय संस्था के अध्यक्ष सहित प्रबंध कार्यकारिणी के सदस्यों द्वारा लिए गए प्रस्ताव सहित प्रस्तुत किए गए और प्रमाणित वेतन बिलों एवं अन्य राशियों के नियमानुसार मय ब्याज के भुगतान करने की मांग की है। जैन द्वारा मूल राशि व ब्याज सहित कुल 1 करोड 42 लाख रूपए का भुगतान करने की आदेश जारी करने की मांग संभागीय आयुक्त से की है।