शहर के एक मात्र सिग्नल वाले चौराहा पर पिछले 8 माह से ट्रैफिक लाइट्स है खराब,

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  • ट्रैफिक लाइट्स को सही होने के लिए दुर्घटना का इंतजार?
  • ट्रैफिक लाइट बनी प्रशासन व नगर परिषद के बीच फुटबॉल!
Iliyas Mohammad
इलियास
हाथ का इशारा करता ट्रैफिक पुलिसकर्मी व बंद ट्रैफिक लाइट्स

 

चित्तौड़गढ़। शहर का सबसे व्यस्त व एक मात्र ट्रैफिक सिग्नल वाला कलेक्ट्री चौराहा जहां पिछले 8 माह से ट्रैफिक सिग्नल लाइट ही खराब पड़ी है , यह वह चौराहा है। जहां से जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक सहित जिले अन्य बड़े अधिकारियों के कार्यालय हैं और ये अधिकारी दिन में।कर बार यह गुजरते भी हैं। जिले के सभी जनप्रतिनिधि चाहे व सांसद और विधायक, जिला प्रमुख हो या अन्य कोई भी पार्टियों के कार्यकर्ताओं इस कलेक्ट्री चौराहे पर दिन में कई बार आना जाना होता है। जिला कलेक्टर पुलिस अधीक्षक अन्य अधिकारियों के लिए यातायातकर्मी आवागमन करवा देते हैं, लेकिन दिक्कत सबसे ज्यादा चित्तौड़ के शहर वासियों को होती है जब ट्रैफिक लाइट बंद होती है या तो जिला प्रशासन को चाहिए, कि यह ट्रैफिक लाइटें ही हटा दें ताकि यातायात कर्मियों को यह पता रहे कि उन्हें किस तरह से इस कार्य को करना है और वह निरंतर इस कार्य को करते रहे जिला प्रशासन व नगर परिषद के बीच फुटबॉल बनी है, यह ट्रैफिक लाइटें इसका खामियाजा चित्तौड़ के आम शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है सबसे ज्यादा शहर वासियों को तब दिक्कत का सामना करना पड़ता है। शाम को अंधेरा होने पर वाहन धारी चौराहे पर खड़े ट्रैफिक कर्मी के इशारा अंधेरे के कारण देख नही पाते और सिग्नल तोड़ देते है। जिससे यातायात व्यवस्था सुचारू नही ही पाती और तब सबसे ज्यादा दुर्घटना होने का डर बना रहता है।

यातायात प्रभारी द्वारा समय-समय पर जिला कलेक्टर व उच्चाधिकारियों को लिखित में इसकी समस्या बताई गई और जिला कलेक्टर द्वारा नगर परिषद के अधिकारियों को समय-समय पर ठीक करने के निर्देशित भी किया गया हैं। लेकिन नगर परिषद के जिम्मेदार इसको लेकर पल्ला झाड़ रहे है। नगर परिषद के आयुक्त रविंद्र सिंह का कहना है की इस चौराहे की ट्रैफिक लाइट को यातायात पुलिस को ट्रांसफर कर दिया गया था, फिर भी नगर परिषद टेक्नीशियन को बुलाने का प्रयास का 3-4 दिनों में ये लाइट्स सुचारू करवाने का प्रयास करेगी।

बंद पड़ी ट्रैफिक लाईट

अगर शहर के सबसे व्यस्ततम और एक मात्र ट्रैफिक सिग्नल चौराहा पर ही स्थानीय प्रशासन ट्रैफिक लाइट्स 8 माह से सही नहीं करवा पाएगा, तो ट्रैफिक के दूसरे नियमो की आमजन कैसे पालना करेगा।जब कभी राज्य के मुख्यमंत्री चित्तौड़गढ़ दौरे पर आते हैं तो रातों-रात टूटी हुई सड़कें, डिवाइडर, रेलिंग बन जाती है तब कोई टेंडर या बिना टेंडर प्रक्रिया के ही यह काम हो जाता है लेकिन जब बात आमजन या पुलिस की आती है तो प्रशासन के सभी विभागों को बजट देखना पड़ता

कलेक्ट्री चौराहा से गुजरता ट्रैफिक

वहीं दूसरी ओर यातायात पुलिस को नियमों के नाम पर वाहनों के चालान काटने के टारगेट देकर राजस्व का तो अर्जन किया जा रहा है लेकिन ट्रैफिक सिग्नल पर खड़े पुलिसकर्मी के लिए जरूर सुविधा नहीं दी जा रही। कुछ दिनों से गर्मी को देखते हुए यातायात प्रभारी सुरेश चंद द्वारा सिग्नल ड्यूटी पर खड़े ट्रैफिक कर्मी के लिए चौराहे पर धूप से बचने के लिए एक छाता लगाया गया है। लेकिन इस छाते को भी रोज रात को चौराहे से हटाकर यातायात कार्यालय रखना पड़ता हैं।

चित्तौड़ के सबसे व्यस्ततम चौराहे पर खराब हुई पिछले 8 महीने से लाइटें ठीक होने का इंतजार कर रही है। जिससे सीधे-सीधे चित्तौड़ के शहरवासी प्रभावित होते शायद चित्तौड़ के प्रशासनिक लोगों को इंतजार है कोई बड़ी दुर्घटना की तभी लाइटों को ठीक कराने की ओर सोचेंगे।

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