Bholenath was anointed with the rays of the Sun
चित्तौड़गढ़। हजारेश्वर महादेव के महंत चंद्र भारती महाराज ने बताया कि वर्ष में दो बार ऐसे योग बनते हैं जबकि सूर्य की पहली किरण भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करती है। सूर्य की पहली किरण से मंदिर का अभिषेक होना बहुत शुभ माना जाता है। सनातन धर्म में सूर्य को ऊर्जा का स्त्रोत और ग्रहों का राजा माना जाता है, ऐसे में जब देवता अपनी पहली किरण से भगवान का अभिषेक करते है, तो उसे आराधना और देवत्व का भाव जग जाता है। सूरज की पहली किरण मंदिर के गर्भ गृह में स्थित शिवलिंग पर पड़ती है। मंदिर का वास्तु कुछ इस प्रकार है कि भोर की पहली किरण वेधशाला मंडप और गर्भगृह के छोटे से द्वार को चीरती हुई भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर पड़ती है। मानो जैसे सूर्य देव को देखकर साथ ही भोलेनाथ को प्रणाम कर जग में उजियारा फैलाने की इजाजत मांगते हो।
हजारेश्वर महादेव के आचार्य श्रवण सामवेदी ने बताया कि गर्भगृह में विशाल शिवलिंग के दर्शन करने यहां महाशिवरात्रि पर
लाखों दर्शनार्थी पहुंचते है। इस मंदिर का निर्माण पुष्य नक्षत्र में किया गया था, इसलिए यह किंवदंती भी प्रचलित है कि मंदिर का निर्माण वास्तुकला के बेजोड़ नमूने को निर्मित करने वाले की आकृति भी मंदिर के गुंबज के पास नजर आती है। भगवान शिव का यह मंदिर विख्यात है, इन्हें श्री हजारेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ में पावटा चौक के पास स्थित है। भगवान भाव के भूखे हैं, उनका अभिषेक कई तरह से होता है, जैसे शिवजी का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक होता है। उसी तरह कुछ मंदिरों का निर्माण इस तरह कराया जाता है कि किसी निश्चित तिथि या रोजाना सूर्य की पहली किरण वहां स्थापित विग्रह पर सबसे पहले पड़े। ऐसा ही इंतजाम हजारेश्वर महादेव मंदिर के लिए हुआ है।
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