The public is troubled by the contaminated water of the reservoirs due to the chemical smoke and waste coming out of the cement factory in Nimbahera
चित्तौड़गढ़। निंबाहेड़ा के मांगरोल में स्थित एक सीमेंट कारखाने से रात्रि के समय हवा में छोड़े जा रहे डस्ट एवं केमिकल युक्त धुँए से कारखाने के आसपास जलाशयों का पानी दूषित हो रहा है जिसके चलते पानी का रंग मटमेला व हल्का लाल हो गया है। जिससे आसपास के गांवों के रहवासियों को काफी समस्यायों का सामना करने के साथ उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है, बच्चो से बूढ़े में स्वास रोग, एलर्जी की समस्या सहित कई बीमारियो का सामना कर रहे है। साथ ही यह पर्यवारण को भी खासा नुकसान हो रहा यहां उड़ने वाली धूल और धुएं से आसपास के कई किलोमीटर क्षेत्र में पेड़ पौधे प्रभावित है।
यह से निकलें अपशिष्ट से पानी के रंग से साफ पता चल रहा है कि इसका रंग किसी केमिकल की वजह से बदला है।
फैक्ट्री के समीपवर्ती गांव भट्टकोटडी व बडो़ली माधोसिंह की खदानों व तलाई में भरे हुए सारे पानी का रंग इसी तरह बदल गया है
जलाशय में भरे हुए दूषित पानी की वजह से भूमिगत जल पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है यदि ऐसा हुआ तो आसपास के क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य पर इसका असर होना लगभग तय है। हालांकि इस बात की अभी पुष्टी नहीं हो पाई है कि पानी दूषित होने का कारण फैक्ट्री से निकलने वाला धुंआ ही है या हो सकता है फैक्ट्री द्वारा किसी प्रकार का अपशिष्ट पदार्थ भूमिगत छोड़ने से हुआ हो। वर्तमान स्थिति देखते हुए दुषित पानी एवं दूषित होने के कारण की जांच होना नितांत आवश्यक है।
हालांकि फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा यह दावा किया जाता है कि कारखाने से किसी प्रकार का अपशिष्ट पदार्थ एवं धूंआ हवा में नहीं छोड़ा जाता है। लेकिन फैक्ट्री द्वारा रात्रि के समय हवा में धुआँ छोड़े जाने की तस्दीक करती खबर समाचार पत्र में प्रकाशित की गई थी, वीडियो में भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि किस प्रकार रात्रि के समय केमिकल युक्त धुआँ और डस्ट हवा में छोड़ी जा रही है।
इधर फैक्ट्री के दावे को संयंत्र में लगी चिमनिंया खुद झुठला रही है यदि हवा में किसी भी प्रकार का धुंआ व अपशिष्ट नहीं छोड़ा जाता तो फिर यह बड़ी-बड़ी चिमनिया किस लिए लगाई गई है। अब देखना यह है कि प्रशासन द्वारा जलाशयों के दूषित पानी को लेकर क्या कदम उठाया जाएगा। इतनी समस्या के बाद भी यहां के नेता और जनप्रतिनिधि यह बड़े गांव के लोगो के लिए आवाज उठाना नही चाहते या फिर ठेके लेकर संतुष्टि दिखाते है की सब चंगासी।