विवादो में रहे पीएमओं डाॅ. वैष्णव हुए एपीओं, डाॅ. मीणा को सौंपी पीएमओं की कमान

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Dr. Vaishnav, the pmo who was embroiled in controversies, became APO, Dr. Meena was given the command of PMO

तीन इंजिन की सरकार ने कराया एपीओ?

चित्तौड़गढ़। जिला हॉस्पिटल के डॉ. दिनेश वैष्णव को एपीओं कर दिया गया। अब उनकी जगह डॉक्टर जय सिंह मीणा को जिला हॉस्पिटल के प्रमुख चिकित्साधिकारी के पद की जिम्मेदारी दी गई है। यह आदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त शासन सचिव निशा मीना ने जारी किया है। दिनेश वैष्णव का कायर्काल अब मुख्यालय निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं जयपुर के कायार्लय में रहेगा। उनके खिलाफ पिछले साल एक महिला डॉक्टर को डबल भुगतान करने के लिए चार्जशीट पेश की गई थी, जिसमें उन्हें दोषी माना गया था। इसके अलावा उनका स्वतंत्रता दिवस पर विवादित बयान देने का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा कि यहा डबल इंजन की सरकार के साथ त्रिपल इंजन भी है, सभी इंजन मेरे साथ है। बता दे कि दिनेश वैष्णव का कार्यकाल हमेशा से ही विवादों में रहा है। पूर्ववर्ती सरकार और लोकल कांग्रेस नेताओं के चहेते होने के कारण उन्हें लगातार इस पद पर लगा रखा गया था। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त शासन सचिव निशा मीना ने गुरुवार देर रात को आदेश जारी किया। जिसके अनुसार जिला चिकित्सालय के पीएमओं डॉ. वैष्णव के खिलाफ सीसीए नियम-16 के अंतगर्त कार्यवाही विचाराधीन है। इसलिए प्रशासनिक कारण और लोक हित को देखते हुए उन्हें एपीओं किया गया। वहीं दूसरे आदेश में संयुक्त शासन सचिव निशा मीना ने शिशु रोग के प्रमुख विशेषज्ञ डॉ. जयसिंह मीणा को जिला चिकित्सालय के पीएमओं का पद सौंपा। साथ ही सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम तीन के अंतगर्त कायार्लय अध्यक्ष भी घोषित किया।
विवादों से नाता रहा डाॅ वैष्णव का
डॉ. दिनेश वैष्णव के खिलाफ पिछले साल चाजर्शीट पेश की गई थी। डॉ. वैष्णव द्वारा डॉ लेक्षा सरुपरिया को हॉस्पिटल के 2 विभागों का कायर्भार दिया गया था। डॉ. वैष्णव लगातार डॉ. सरूपरिया को दोनों विभाग और डायलासिस में काम करने के कारण डबल भुगतान कर रहे थे। जॉइंट डायरेक्टर तक इस बात की जानकारी पहुंची तो डॉ वैष्णव के खिलाफ जांच कमेटी गठित की थी। जांच के बाद डॉ वैष्णव का दोष सिद्ध भी हो गया था, लेकिन जनप्रतिनिधियों के चहेते होने के कारण उन्हें इस पद से हटाया नहीं गया। हाल ही में 15 अगस्त के दिन भी अपने उद्बोधन में उनका बयान भी विवादित रहा। उन्होंने कहा कि बहुत जने साफा पहनने और झंडारोहण की प्रैक्टिस कर रहे हैं, लेकिन उससे कुछ नहीं होने वाला। यहां वे ही रहेंगे और 365 दिन रहेंगे, जब समय आएगा तो उससे पहले ही वे इस चीज से निकल जाएंगे। अभी डबल इंजन की सरकार है और तीसरा इंजन भी आ गया है। यह सांवरिया हॉस्पिटल है, यहां पर सिफर् सांवरा सेठ की ही चलेगी। चाहे कितने भी इंजन आ जाए।
मीडिया पर भी लगाई गई थी पाबंदी
डॉ. दिनेश वैष्णव ने मीडिया पर भी कई रोक लगा रखी थी। उन्होंने अपने अन्य डॉक्टर और स्टाफ को मीडिया को कोई भी सूचना नहीं देने पर सख्त निदर्ेश जारी किए हुए थे। किसी भी विशेषज्ञ को मीडिया में बयान देने से भी मना किया गया था। इसके अलावा एक महीने पहले ही डॉक्टर वैष्णव ने हॉस्पिटल में मीडिया पर कैमरे ना चलाने पर भी तुगलकी फरमान जारी किया था। जिसका मीडिया कमिर्यों द्वारा विरोध जताया था। जिला कलेक्टर आलोक रंजन के हस्तक्षेप के बाद पीएमओं ने झूठ बोल दिया कि जॉइंट डायरेक्टर ने आदेश जारी किया था। जबकि जॉइंट डायरेक्टर से जब बातचीत की गई तो उन्होंने इस बात से साफ इनकार कर दिया कि ऐसा कोई भी आदेश जारी नहीं किया गया था। इसके बाद डॉ. वैष्णव को तुगलकी फरमान का बोर्ड हटाने पर मजबूर होना पड़ा।

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