ट्रेन देरी से आई रिफंड नही दिया तो एडवोकेट ने किया केस,उपभोक्ता मंच ने लगाया जुर्माना

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ट्रेन के असाधारण विलम्ब पर हुई क्षति की पूर्ति का आदेश

चित्तौड़गढ़। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग चित्तौड़गढ़ के अध्यक्ष प्रभुलाल आमेटा एवं सदस्यगण राजेश्वरी मीणा, अरविन्द कुमार भट्ट ने अपने एक निर्णय में विपक्षी इंडियन रेलवे केटरिंग व ट्यूरिस्ट कॉर्पोरेट लि., जरिये प्रबंधक मुंबई व भारतीय रेलवे जरिये मंडल रेल प्रबंधक अहमदाबाद के विरूद्ध परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए परिवादी की यात्रा में चुक करने पर 2840 रुपये मय 6 प्रतिशत ब्याज एवं मानसिक संताप, परिवाद, अधिवक्ता व्यय के 2500-2500 रुपये दो माह में अदा करने का आदेश दिया। अदम अदायगी भुगतान 9 प्रतिशत ब्याज से देय होगा।

प्रकरणानुसार मीठाराम जी का खेड़ा निवासी परिवादी स्वयं अधिवक्ता सुशील कुमार व्यास ने विपक्षीगण के विरूद्ध आयोग में एक परिवाद इस आशय का पेश किया कि रेलवे से परिवादी को मय परिवार पुरी, ओडिशा से उदयपुर की यात्रा करनी थी। इस हेतु समस्त तयशुदा कार्यक्रमों के अन्तर्गत रेलवे टिकिट की बुकिंग की गई और रेलवे समय सारणी के आधार पर यात्रा की ट्रेन का अहमदाबाद पहुँचना था और उसी के पश्चात् ट्रेन बदल कर उदयपुर आने वाली ट्रेन में यात्रा करनी थी किन्तु अहमदाबाद पहुँचने वाली ट्रेन अपने निर्धारित समय से 5 घंटे देरी से पहुँची जिस पर उदयपुर की यात्रा करने वाली ट्रेन निकल चुकी थी जिससे परिवादी अपने परिजनों के साथ अहमदाबाद से उदयपुर की यात्रा नहीं कर सके। परिवादी ने विपक्षी स्टेशन अधीक्षक से अन्य ट्रेन से यात्रा कराने या राशि रिफंड करने का आग्रह किया तो विपक्षी द्वारा इंकार कर दिया गया। विपक्षीगण के सेवादोष के कारण परिवार व उसके परिजनों को मजबूरन अन्य ट्रेन से यात्रा करनी पड़ी जिसकी विपक्षी द्वारा अतिरिक्त राशि वसूली गई।

सुनवाई के दौरान विपक्षीगण द्वारा नियमानुसार टिकिट निरस्तीकरण का आवेदन करने का तर्क दिया गया। दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात् आयोग ने समस्त दस्तावेजों का अवलोकन कर माना कि सामान्यतया कोई यात्री बीच यात्रा में आगामी यात्रा के टिकिट लेने में इतना अधिक मार्जिन नहीं रखता है। संचालित ट्रेन के 5 घंटो से ज्यादा देर से पहुँचाने के कारण परिवादी के टिकिट व्यर्थ हो गये। जब परिवादी ने रिफंड मांगा तो उसे देना चाहिये था। फार्म भरना आवश्यक था तो फार्म प्रदान कर भरवाना चाहिए था। इसलिए परिवादी टिकिट की राशि मय ब्याज, हर्जे-खर्चे पाने का हकदार है।

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